“जवाली में आंगनबाड़ी व्यवस्था चरमराई – जर्जर भवनों में बच्चों की पढ़ाई-पोषण और सुरक्षा दांव पर, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा”




(कटघोरा/कोरबा)
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ ग्राम जवाली में शासन की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता ने आंगनबाड़ी व्यवस्था की असलियत उजागर कर दी है।
2250 आंगनबाड़ी केंद्रों वाले कोरबा जिले में विकासखंड कटघोरा के ग्राम जवाली की तस्वीर बेहद चिंताजनक है।
यहां पांच आंगनबाड़ी केंद्रों में से केवल एक नए भवन में चल रहा है, बाकी चार या तो जर्जर भवनों में या किराए के निजी घरों में ठिकाने खोज रहे हैं।
जर्जर भवन, टूटती दीवारें, सुरक्षा से खिलवाड़
केंद्र क्रमांक 1 – प्राथमिक शाला मौहारापारा से जुड़े भवन की जर्जर हालत के कारण सामुदायिक भवन में शिफ्ट।
केंद्र क्रमांक 2 – नए भवन में संचालन, लेकिन बिजली, शौचालय और बाथरूम तक नहीं।
केंद्र क्रमांक 3 – पुराने खंडहरनुमा भवन में।
केंद्र क्रमांक 4 – इमली पारा/खालें पारा का जर्जर भवन छोड़कर बाबा मोहल्ला के निजी घर में।
केंद्र क्रमांक 5 – इंदिरा नगर के जर्जर भवन से पुराने आयुर्वेद औषधालय भवन में शिफ्ट।
इस लापरवाही का सीधा असर बच्चों की पढ़ाई, पोषण और सुरक्षा पर हो रहा है।
400 से ज्यादा हितग्राही प्रभावित
इन पांच आंगनबाड़ी केंद्रों से
6 माह से 3 साल तक के 156 बच्चे
3 साल से 6 साल तक के 127 बच्चे
22 गर्भवती महिलाएं
19 धात्री महिलाएं
82 किशोरी बालिकाएं (14-18 वर्ष)
कुल 406 लाभार्थी
सीधे तौर पर प्रभावित हैं।
इन केंद्रों पर पूरक पोषण आहार, शिशु शक्ति, महतारी शक्ति, किशोरी शक्ति, स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण, पूर्व प्राथमिक शिक्षा और परामर्श सेवाएं समय पर नहीं मिल पा रहीं।
सुशासन तिहार में हुई थी मांग – अब तक कार्रवाई नहीं!
ग्राम के स्वयंसेवक दीपक पटेल ने सुशासन तिहार 2025 में प्रभावित ग्रामीणों की ओर से नए आंगनबाड़ी भवन निर्माण की मांग प्रशासन को लिखित में दी थी।
लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
नई योजनाएं, लेकिन जर्जर हालात में लागू कैसे होंगी?
जुलाई से शासन की नई व्यवस्था लागू होने वाली है –
FRSE – KYC पूरा होने के बाद ही सूखा राशन मिलेगा
साल में दो बार बच्चों को गणवेश
प्री-स्कूल किट देने की योजना
लेकिन सवाल ये है कि जब भवन ही सुरक्षित नहीं, तो ये योजनाएं कहां और कैसे लागू होंगी?
डीएमएफ की करोड़ों की राशि रुकी, निर्माण अटका
ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि डीएमएफ मद में करोड़ों रुपये स्वीकृत होने के बावजूद नई आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण शुरू न होना गंभीर लापरवाही है।
शासन की योजनाओं का लाभ गरीब ग्रामीणों तक नहीं पहुंच रहा।
ग्रामीणों का आक्रोश
गांव के लोगों का कहना है –
> “हमारे बच्चों की सुरक्षा, पढ़ाई और पोषण से खिलवाड़ कब तक चलेगा? अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो हम सामूहिक आंदोलन करेंगे।”
जवाली की आंगनबाड़ी व्यवस्था की यह भयावह तस्वीर शासन और प्रशासन दोनों के लिए शर्मनाक है। अब सवाल है – कब जागेगी सरकार?
