“शराब घोटाले में चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी पर गरमाई सियासत: केदार कश्यप बोले- ED पर सरकार का कोई दबाव नहीं”




त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ रायपुर। छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा गिरफ्तारी ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। इस मामले पर प्रदेश के मंत्री केदार कश्यप ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि “सरकार किसी भी तरह के दबाव में नहीं है। यह कांग्रेस की सरकार नहीं है जहां जांच एजेंसियों पर अंकुश लगाया जाता था। ED पूरी तरह स्वतंत्र तरीके से अपनी कार्रवाई कर रही है और वह किसी के कहने पर काम नहीं करती।”
कश्यप ने आगे कहा कि चैतन्य बघेल पहले भी इस मामले में जांच एजेंसी के रडार पर थे। उनसे कई बार पूछताछ हो चुकी है और वे इस घोटाले में संदेह के घेरे में हैं। “ED ने अपनी जांच के आधार पर यह कार्रवाई की है। कांग्रेस को अब सवाल खड़े करने के बजाय कानून पर भरोसा करना चाहिए। अगर वे निर्दोष हैं तो अदालत में साबित कर सकते हैं,” उन्होंने कहा।
कांग्रेस ने बताया राजनीतिक प्रतिशोध
वहीं इस कार्रवाई को लेकर कांग्रेस ने तीखा विरोध जताया है। कांग्रेस नेताओं ने इसे भाजपा सरकार की बदले की कार्रवाई करार दिया है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार विपक्ष को दबाने के लिए ईडी और अन्य एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि चैतन्य बघेल को फंसाने की साजिश रची जा रही है ताकि भूपेश बघेल की छवि को धूमिल किया जा सके।
शराब घोटाले का मामला
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल के दौरान शराब बिक्री में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच ईडी कर रही है। इस मामले में करोड़ों रुपये के अवैध लेनदेन और कमीशनखोरी के आरोप हैं। ईडी ने पूर्व में कई शराब कारोबारियों और अधिकारियों के खिलाफ छापेमारी की थी। चैतन्य बघेल का नाम भी इसी मामले में सामने आया था और उनसे पहले भी पूछताछ की जा चुकी है।
ED की कार्रवाई जारी
सूत्रों के अनुसार, ईडी ने चैतन्य बघेल को पूछताछ के लिए समन भेजा था। जवाब संतोषजनक न मिलने और नए सबूत सामने आने के बाद गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई। उन्हें कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया जा सकता है। ईडी का दावा है कि इस मामले में कई राजनीतिक चेहरे भी शामिल हैं और जांच का दायरा जल्द ही और बढ़ सकता है।
राजनीति गरमाई
इस गिरफ्तारी के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। भाजपा इसे कानून का पालन बताते हुए कांग्रेस पर हमला बोल रही है, जबकि कांग्रेस इस कार्रवाई को लोकतंत्र पर हमला बता रही है। आने वाले दिनों में यह मामला राजनीतिक तौर पर और गरमा सकता है।
