February 6, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

खबरें जरा हट के

*।।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।*

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*।।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।*

*माघ कृष्ण एकादशी*
*षटतिला एकादशी*

*एकादशी तिथि आरंभ- 24 जनवरी 2025 शुक्रवार को सायं 07 बजकर 25 मिनट से*

*एकादशी तिथि समाप्त- 25 जनवरी 2025 शनिवार को रात्रि 08 बजकर 31 मिनट पर*

*षटतिला एकादशी व्रत तिथि- 25 जनवरी 2025 शनिवार*

*षटतिला एकादशी व्रत पारण का समय- 26 जनवरी 2025 रविवार को प्रात: 07 बजकर 12 मिनट से प्रात: 09 बजकर 21 मिनट तक।*

*माघ कृष्ण एकादशी*
*षटतिला एकादशी व्रत कथा*

 त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ***/ *प्राचीनकाल में मृत्युलोक में एक ब्राह्मणी रहती थी। वह सदैव व्रत किया करती थी। एक समय वह एक मास तक व्रत करती रही। इससे उसका शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया। यद्यपि वह अत्यंत बुद्धिमान थी तथापि उसने कभी देवताअओं या ब्राह्मणों के निमित्त अन्न या धन का दान नहीं किया था। इससे मैंने सोचा कि ब्राह्मणी ने व्रत आदि से अपना शरीर शुद्ध कर लिया है, अब इसे विष्णुलोक तो मिल ही जाएगा परंतु इसने कभी अन्न का दान नहीं किया, इससे इसकी तृप्ति होना कठिन है।*
*भगवान ने आगे कहा- ऐसा सोचकर मैं भिखारी के वेश में मृत्युलोक में उस ब्राह्मणी के पास गया और उससे भिक्षा माँगी। वह ब्राह्मणी बोली- महाराज किसलिए आए हो? मैंने कहा- मुझे भिक्षा चाहिए। इस पर उसने एक मिट्टी का ढेला मेरे भिक्षापात्र में डाल दिया। मैं उसे लेकर स्वर्ग में लौट आया। कुछ समय बाद ब्राह्मणी भी शरीर त्याग कर स्वर्ग में आ गई। उस ब्राह्मणी को मिट्टी का दान करने से स्वर्ग में सुंदर महल मिला, परंतु उसने अपने घर को अन्नादि सब सामग्रियों से शून्य पाया।*

 

*घबराकर वह मेरे पास आई और कहने लगी कि भगवन् मैंने अनेक व्रत आदि से आपकी पूजा की परंतु फिर भी मेरा घर अन्नादि सब वस्तुओं से शून्य है। इसका क्या कारण है? इस पर मैंने कहा- पहले तुम अपने घर जाओ। देवस्त्रियाँ आएँगी तुम्हें देखने के लिए। पहले उनसे षटतिला एकादशी का पुण्य और विधि सुन लो, तब द्वार खोलना। मेरे ऐसे वचन सुनकर वह अपने घर गई। जब देवस्त्रियाँ आईं और द्वार खोलने को कहा तो ब्राह्मणी बोली- आप मुझे देखने आई हैं तो षटतिला एकादशी का माहात्म्य मुझसे कहो।*

*उनमें से एक देवस्त्री कहने लगी कि मैं कहती हूँ। जब ब्राह्मणी ने षटतिला एकादशी का माहात्म्य सुना तब द्वार खोल दिया। देवांगनाओं ने उसको देखा कि न तो वह गांधर्वी है और न आसुरी है वरन पहले जैसी मानुषी है। उस ब्राह्मणी ने उनके कथनानुसार षटतिला एकादशी का व्रत किया। इसके प्रभाव से वह सुंदर और रूपवती हो गई तथा उसका घर अन्नादि समस्त सामग्रियों से युक्त हो गया।*
*अत: मनुष्यों को लोभ न करके तिल आदि का दान कर षटतिला एकादशी का व्रत करना चाहिये। इससे दुर्भाग्य, दरिद्रता तथा अनेकों प्रकार के कष्ट दूर होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।*

*नाड़ीवैद्य डॉ.नागेन्द्र नारायण शर्मा*

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