संजय नगर रेलवे अंडरब्रिज के निर्माण कार्य पर छाए संशय के बादल-अटकी निविदा
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* राशि हो चुकी है मंजूर
त्रिनेत्र टाइम्स कोरबा ****/ संजय नगर रेलवे अंडरब्रिज के निर्माण कार्य पर पुनः संशय के बादल छाए हुए हैं। संजय नगर सुनालिया रेलवे क्रॉसिंग पर वाय शेप अंडर ब्रिज निर्माण के लिए निविदा पुनः अधर में लटक गयी है। इसकी लागत 30 करोड़ 97 लाख रूपए हैं। परंतु बताया जा रहा हैं की 9 महीने में 90 प्रतिशत तक जमीन अभी तक क्लियर ही नहीं हो पाई है। रेलवे व सिंचाई विभाग की जमीन पर अतिक्रमण को हटाने के बाद ही निविदा की प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी। जानकारी के अनुसार उक्त मार्ग पर 95 लोगों के दुकान और मकान प्रभावित हो रहे हैं। जिन्हे वैध एवं अवैध निर्माण के बावजूद सम्मानजनक मुआवजा राशि दिए जाने का कार्य जारी है।
पॉवर हॉउस रोड में यातयात के दबाव को कम करने संजय नगर रेलवे क्रॉसिंग पर अंडरब्रिज बनाने के लिए पिछले 10 साल से योजना बन रही है। राज्य शासन ने इसे बजट में भी शामिल किया है। लेकिन मद नहीं मिलने से उक्त योजना अधूरी रह गई। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद उद्योग, वाणिज्य और श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने पुनः अंडरब्रिज निर्माण कार्य हेतु पहल की। उसके बाद लगभग 9 महीने पहले कोरबा जिला कलेक्टर अजीत वसंत ने अंडरब्रिज के लिए प्रशासकीय मंजूरी का आदेश जारी किया। जिसकी लागत 30 करोड़ 97 लाख 89 हजार रुपए है। इसमें से 50 प्रतिशत राशि रेलवे देगी। 50 प्रतिशत राशि डीएमएफ से खर्च होगी। पीडब्ल्यूडी सेतु निगम इसके लिए तकनीकी मंनूरी भी ले चुकी है। लेकिन परेशानी का सबब रेलवे और सिंचाई विभाग की जमीन पर अतिक्रमण होना है। राज्य शासन ने बड़ी योजनाओं के लिए जब तक 90 प्रतिशत जमीन क्लियर नहीं होगी तब तक निविदा नहीं करने का नियम बनाया है। कलेक्टर ने जमीन खाली कराने राजस्व, नगर निगम, रेलवे, सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम बनाई है।
* निजी जमीन बताकर न्यायालय में दी चुनौती
अंडरब्रिज से प्रभावित स्थल की जमीन को चार लोगों ने अपना बताते हुए जिला न्यायालय में याचिका लगाई है। न्यायालय में मामला जाने से जमीन का मामला उलझ सकता है। इस जमीन को रेलवे अपना बता रही है। वर्ष 1965 में यहां पर 4.57 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी। उसके बाद अगर दोनों विभाग अतिक्रमण नहीं होने देते तो परेशानी नहीं होती।
* लगभग 65 साल पहले जमीन अधिग्रहित की गई, परंतु राजस्व रिकॉर्ड में नामांतरण नहीं
रेलवे ने रेलवे लाइन और सिंचाई विभाग ने नहर बनाने के लिए 65 साल पहले जमीन अधिग्रहित की थी। नहर के सेंटर से दोनों ओर 36-36 मीटर जमीन सिंचाई विभाग की है। लेकिन राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में विभाग के नाम पर नामांतरण ही नहीं हुआ। कई लोगों ने जमीन की खरीद-फरोख्त कर ली है।
* 3.33 करोड़ का बंट रहा है मुआवजा
अंडर ब्रिज निर्माण से 95 लोग प्रभावित हुए हैं। पहली बार अतिक्रमण कर बनाये गए मकानों का मुआवजा दिया जा रहा है। कुल 3 करोड़ 33 लाख रुपए का मुआवजा वितरण हो रहा है। इसके बाद ही लोग मकान को खाली कर रहे हैं।