December 23, 2025

त्रिनेत्र टाईम्स

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कोरबा सड़क किनारे कचरे का ढेर होने से एसईसीएल के खिलाफ भड़का जन आक्रोश

 


लोगों को गंदगी व दुर्गंध का करना पड़ रहा सामना
कोरबा जिले के एसईसीएल कोरबा एरिया में इस बार रोजी-रोजगार के लिए नहीं बल्कि कचरा प्रबंधन में लापरवाही के लिए खदान बंद करने पर स्थानीय ग्रामीण उतारू हैं। कोरबा क्षेत्र के मानिकपुर प्रबंधन द्वारा ग्राम दादर खुर्द जाने वाले मुख्य मार्ग के किनारे कचरा डाला जा रहा है। कचरा एवं मरे हुए जानवर यहां फेंक देने के कारण आने-जाने वाले ग्रामवासियों व अन्य लोगों को दुर्गंध से गुजरना पड़ता है।
एसईसीएल के इस रवैय्ये से जिला प्रशासन व निगम प्रशासन द्वारा लगातार स्वच्छता को बढ़ावा देने वाली कार्यवाही को पलीता लग रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि मानिकपुर से दादर-खुर्द की ओर जाने वाला यह मुख्य रास्ता है। रास्ते के दोनों ओर प्रबंधन द्वारा कॉलोनी से निकलने वाले कचरों के साथ-साथ मृत जानवर को भी फेंका जा रहा है। प्लास्टिक एवं अन्य तरह के जितने भी कचरे कालोनी में निस्तारित होते हैं, एसईसीएल का सफाई अमला उसे यहां फेंक देता है। बताया गया कि उक्त मार्ग के किनारे कचरा संग्रहण केन्द्र भी बनाया गया है जिसमें ताला लटक रहा है। यहां की गतिविधियां शून्य होने के कारण इसके निर्माण व उपयोगिता पर भी सवाल उठे हैं। यदि यह कचरा संग्रहण केन्द्र सुचारू रूप से संचालित होता तो संभवत: सड़क के किनारों पर गंदगी का ढेर नजर नहीं आता और आने-जाने वाले लोगों को कठिनाईयों के दौर से गुजरना नहीं पड़ता। बरसात के मौसम में यह कचरे पानी के साथ बहकर सडक़ पर आ जाते हैं और इन्हीं गंदगियों के बीच से गुजरना लोगों की मजबूरी बन जाती है। वैसे भी इस क्षेत्र के सडक़ अपनी बदहाली के आंसू रो रही है। दूसरी ओर स्वच्छता के मामले में एसईसीएल प्रबंधन द्वारा बरती जा रही लापरवाही लोगों के लिए मुसीबत की वजह बनती जा रही है।
* तीन दिन उपरांत करेंगे आंदोलन
ग्राम वासियों के द्वारा कई बार निवेदन करने पर भी प्रबन्धन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। ग्राम दादरखुर्द विकास समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार द्विवेदी ने कहा है कि 3 दिन के अन्दर अगर प्रबंधन अपनी गलती नहीं सुधारता है और इन कचरों का यहां से उठाव नहीं कराता है तो उग्र आंदोलन कर ग्रामवासी खदान बंद करेंगे एवं उसी स्थान पर बैठकर हड़ताल करेंगे।
* सभी एरिया में यही स्थिति
एसईसीएल का सर्वाधिक कोयला कोरबा की खदानों से उत्पादन किया जाता है। वहीं दूसरी ओर एसईसीएल प्रबंधन मूलभूत सुविधाओं को लेकर गंभीर नहीं है। कॉलोनियों में साफ-सफाई की व्यवस्था लचर है। बिजली की आपूर्ति भी कर्मियों को परेशान कर रही है। यहीं कारण है कि एसईसीएल के खिलाफ लगातार आंदोलन होते रहते है। एक बार फिर प्रबंधन के खिलाफ ग्रामीण लामबंद हुए है।

 

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