न स्कूल है ,न आंगनबाड़ी , अस्पताल तो दूर की बात कोरबा ब्लाक के ग्राम, सरीडीह का मामला




जंगली रास्ते बच्चो को बागदरीडांड जाने की मजबूरी
कोरबा ,पहाड़ी कोरवा के बच्चो की पढ़ाई कैसी होती होगी यह ग्राम सरीडीह जाकर देखा जा सकता है जहा न तो स्कूल खुल सका और न ही आंगनबाड़ी केंद्र ,अस्पताल तो दूर की बात ,
विकासखंड कोरबा के ग्राम पंचायत केरा कछार के अंतर्गत आने वाले ग्राम सरीडीह का मामला कुछ ऐसा ही है ,जहा पहाड़ी कोरवा निवास करते है इसकी अपनी ग्राम पंचायत से दूरी ही पांच से छह किलोमीटर के लगभग है और यही दूरी उनके लिए एक बड़ी मुसीबत है राशन लेने के लिए पंचायत मुख्यालय पहाड़ी रास्ते से जाते है लगभग इसी छोटे बच्चो के सामने भी रहती है गांव में स्कूल नही होने के कारण उन्हें ग्राम बागदारी डांड जाना पड़ता है जिसकी सरीडीह से दूरी लगभग तीन किलोमीटर पड़ती है ,सबसे बड़ी विडंबना आगनबाड़ी केंद्र का नही होना ,महिलाओं और बच्चों के लिए चलाई जाने वाली पोषण आहार जैसी योजनाओं का लाभ से भी महिलाए और बच्चे वंचित है , रही बात अस्पताल की तो वह बहुत दूर की बात है यहां के ग्रामीणों के लिए ,ग्राम पंचायत के क्षेत्र निर्धारण के समय , सरीडीह, बागदरीडांड जैसे आसपास के केरा कछार में शामिल कर दिए गए जबकि महज दो किलोमीटर दूर मदनपुर ग्राम पंचायत है बिजली भी ग्राम सरीडीह नही पहुंची, जबकि मदनपुर में बिजली जल रही है ग्राम में पंचायत द्वारा एक मंच बनाया गया है जहां छोटे बच्चो को एक युवती पढ़ाती है ,
